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21 Aug 2019 · 1 min read

मनुहार

#विधा – गीत
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मनुहार
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सजन आओ चले आओ।
मिलन के गीत अब गाओ।।

कि सावन आस देता है।
सुखद बरसात देता है।
गमों के पीर से बोझिल-
विरह की रात देता है।
न हमको और तड़पाओ।
सजन आओ चले आओ।।

हिया बेकल हुआ जाता।
प्रणय के गीत है गाता।
मगर तुम ही नही आते-
विरह बढता चला जाता।
हृदय के पीर सुन जाओ।
सजन आओ चले आओ।।

मगन मन झूमने लगता।
धरा को चूमने लगता।
सजन गर पास होते तुम-
अधर को चूमने लगता।
हृदय उद्विग्न है आओ।
सजन आओ चले आओ।।

प्रणय की वेदना जागी।
सुप्त संवेदना जागी।
बनो न तुम भी निर्मोही-
कहो जी चेतना जागी।
समागम को चले आओ।
सजन आओ चले आओ।।

✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

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