Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Aug 2019 · 1 min read

प्रेम भाव

ढाई अक्षर का शब्द है प्यार
जीवन में खुशिया देता बेशुमार

संयोग वियोग दो मूल है भाव
जिस भाव में उसी भाव में बहाव
भिन्न भावों में भिन्न रखता सार
जीवन में खुशियाँ देता बेशुमार

भिन्न भिन्न रंगों में रंगा हुआ है
विभिन्न रुपों में मंढा जड़ा हुआ है
अलग रंग में अलग छिपा है चाव
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

वात्सल्य प्रेम का ना कोई है साकी
माँ बाप बिन नहीं कुछ रहता बाकी
माता पिता का प्यार देता जीवन तार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

भाई बहनों का प्यार है सबसे न्यारा
एक दूसरे के बिना नहीं रहना गवारा
संग साथ खेल मेल म़े.बढता प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

पति पत्नी प्रेम एक ही गाड़ी के दो पहिए
गृहस्थ जीवन चलता एक दूसरे के जरिए
वाद विवाद संवाद तकरार से बढता प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

यार दोस्तों का निस्वार्थ प्यार है अनमोल
सुख दुख में साथ निभाते बिन कोई मोल
खाते पीते सुख दुख खोलें निभता प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

प्रेमी प्रेमिका का है गहरा और विचित्र प्रेम
कसमें खातें वादे करते और निभाते हैं प्रेम
वियोगी बने तो रोते संयोगी में हँढाते प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

ढाई अक्षर का प्रेम शब्द अमर अजर है
बिना प्रेम के जीवन बन जाता नरक है
प्रेम रस बिना प्रेम रूत में जीवन बेकार
जीवन मे खुशियाँ देता है बेशुमार

ढाई अक्षर का शब्द है प्यार
जीवन में खुशियाँ देता है बेशुमार

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Loading...