अलविदा, 2024
तेरे जाने की ख़ुशी में सब मग्न है
आदिम की बस्ती में आज जश्न है
पर क्यों, तूने तो बहुत कुछ दिया
हसीन लम्हे, कुछ मीठा कुछ तीखा
हाँ, थोड़ा बहुत लिया भी
हाँ, तकलीफ़ों में मैं जिया भी
परम्परा ही निभायी, यही है जीवन
अब देनी है विदाई हो प्रसन्न मन
याद रखेंगे हर गुजरा हुआ पल
वही तुम, वही हम, तारीख़ गई बदल
चित्रा बिष्ट