एक बात बोलू
एक बात बोलू
लोगो को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की हम खुश है या नाराज है, दुखी है या ठीक है…
उन्हे फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम उन्हे खुश रखते है या नही, उनके हिसाब से चलते है या नही, हम उनके लिए हमेशा available रहते है या नही…
अगर हम उनके हिसाब से चलते है उनकी सुनते है, उनको खुश रखते है तो वो हमसे रिश्ता रखते है, हमसे अच्छे से बात करते है खुश रहते है…
जिस दिन हमने अपने हक के लिए अपने लिए कुछ बोल दिया या हम भी उनके जैसे बर्ताव करने लगे तो वो हमसे नाराज होकर हम से रिश्ता ही तोड़ लेते हैं…