धराधाम आरती
धरा धाम आरती
॥ आरती धरा धाम की, प्रेम शांति के धाम की ॥
सौहार्द ज्योति जल रही, ममता की गंगा बह रही
जय धरा धाम, जय जय धरा धाम
हर दिल में बसता तेरा नाम
धर्म सभी का संग यहाँ, नफरत का हो अंत जहाँ
जाति-पांति का भेद मिटे, मानवता का दीप जले
जय धरा धाम, जय जय धरा धाम
प्रेम भक्ति का पावन धाम
संत सौरभ की वाणी है, करुणा जिसकी रवानी है
रागिनी माता संग खड़ी, सेवा में हर पल अड़ी
जय धरा धाम, जय जय धरा धाम
हर मजहब का पावन धाम
गूँजे शांति के मंत्र यहाँ, धरती बने इक मंदिर जहाँ
सबको मिलता मान यहाँ, पुण्य धरा का गान यहाँ
जय धरा धाम, जय जय धरा धाम
सत्य अहिंसा का शुभ धाम
चलो मिलाएँ हाथ सभी, प्रेम दीप जलाएँ अभी
धरा धाम की छाँव तले, जीवन सारा सुख से चले
जय धरा धाम, जय जय धरा धाम
सौहार्द शांति का अभिराम
॥ जय धरा धाम ॥