**नियति बनाम स्वेच्छा**
मशीयत के मुसव्विदे में तक़दीर का फ़रमान,
या हौसला-ए-बशर से तहरीर की उड़ान?
क़ज़ा की रफ़्तार या तदबीर की रविश,
इख़्तियार का सराब या क़िस्मत की बंदिश?
हयात के अबयज़ पर तक़दीर का नक़्श,
या नफ़्स की शम’अ से रौशन कोई अक्स?
मुरादों की दस्तक या क़िस्मत का हुक्मराँ,
रहमत-ए-इलाही या इरादों का कारवाँ?