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27 Dec 2024 · 1 min read

अर्ज़ है … हर ज़ाम में डुबते है महफ़िल सजाने को , ये कह कर

अर्ज़ किया है … हर ज़ाम में डुबते है महफ़िल सजाने को , ये कह कर बरगलाते हैं ज़माने को ।
कमबख्त ये शाम ही जानती है असलियत कि
हम पीते है गम भुलाने को ।

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 29 Views
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