Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2024 · 2 min read

रिश्ते बचाएं

पति पत्नी के पावन रिश्तों को समझें
रिश्ता जुड़ गया है तो इस बात को समझें
रिश्ते मन वचन और कर्म से निभाएं
अन्यथा रिश्ते न बनाएं
रिश्ता होने से पूर्व ही विचार करें
पति और पत्नी दोनों मिलकर रहें
याद रखें पति और पत्नी दोनों
शरीर से अलग होते हैं लेकिन
विचारों से उन्हें एक होना चाहिए
रिश्तों में पवित्रता होनी चाहिए
अगर गलतियां हुई हैं तो सुधारें
स्त्री और पुरुष दोनों ही इंसान हैं
दोनों एक दूसरे की भावनाओं को समझें
दोनों एक दूसरे के महत्व को जानें
कितना भी मन मुटाव हो
हर समस्या बातों से हल करें
जो भी निर्णय करें अच्छे से विचार कर ही करें
रिश्ते तोड़ देना आसान होता है
रिश्ते को बनाए रखना मुश्किल होता है
लेकिन प्रेम, विश्वास और समर्पण से
रिश्ते सालों साल तक नहीं अंत समय तक चलते हैं
ख़ुद को स्वीकारें, जो भी हैं जैसे भी हैं
आप कितने ही बड़े क्यो न हों लेकिन
प्यार पाने के लिए छोटा ही बने रहें
जहां बात रिश्तों की आए आप वहां झुकते नज़र आएं
अज्ञानी और मूर्ख बनें, बहुत कुछ अनदेखा करें
अगर आप दोनों एक साथ नहीं रह सकते हैं तो
शांतिपूर्वक अलग हो जाएं
महिलाओं के साथ कुछ मामलों में गलत होता है
आप वहां से अलग हो जाएं, लेकिन शांतिपूर्वक
रिश्ते तोड़ते समय बदले की भावना नहीं होनी चाहिए
अगर आपको लगे कि यही आखरी रास्ता है तो
लेकिन अगर रिश्ते सुधारने का एक अवसर है तो
समय रहते सुधार लें
पद, प्रतिष्ठा, मान सम्मान, अहंकार
घर में प्रवेश पूर्व ही जूतों की भांति उन्हें बाहर उतार दें
घर एक मंदिर है मंदिर के महत्व को समझें
जिन्हें आपसे दूर जाना ही है वो चले जाएंगे
आज़ नहीं तो कल जाएंगे जानें वालों को रोक नहीं सकते हैं
प्रेम विश्वास और समर्पण से रिश्तों को भर सकते हैं
एक निवेदन है सविनय आप सबसे मेरे सभी मित्रों से
अगर दूर जाना ही हो रिश्तों से
एक दूसरे को क्षमा करते हुए जाएं
कोर्ट कचहरी तक रिश्तों की चिता न जलाएं
क्षमा करें दोनों ही दोनों को माफ़ करें एक दूसरे को
विचारे साथ गुजारे अच्छे दिनों को उन अच्छी यादों को
भूल जाएं बुरे दिनों की बुरी यादों बुरी बातों को
ऐसा कोई समय नहीं जो रिश्ते सुधारने के अनुकूल नहीं
सुधरे और गलतियां सुधारें अपनी नादानियों को जानें पहचानें
रिश्तों को समय रहते बचाएं , थोड़ा सा प्रयत्न लगाएं
एक प्रयास ज़रूर करें भले ही प्रयास आख़री और असफल हो
बात न बनें तो शांतिपूर्वक अलग हो जाएं
या बात बन जाय तो पुनः मन, वचन और कर्म से एक हो जाएं
_ सोनम पुनीत दुबे

1 Like · 200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
View all

You may also like these posts

“ख़्वाब देखे मैंने कई  सारे है
“ख़्वाब देखे मैंने कई सारे है
Neeraj kumar Soni
वो मुझे बस इतना चाहती है,
वो मुझे बस इतना चाहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भजन , ( अरदास कोरोना के समय) (32)
भजन , ( अरदास कोरोना के समय) (32)
Mangu singh
महाकुम्भ
महाकुम्भ
डॉ. शिव लहरी
फूल से कोमल मन
फूल से कोमल मन
Mahesh Tiwari 'Ayan'
विचार और भाव-2
विचार और भाव-2
कवि रमेशराज
🙅आज का उपाय🙅
🙅आज का उपाय🙅
*प्रणय प्रभात*
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
“त्याग वही है, जो कर के भी दिखाया न जाए, यदि हम किसी के लिए
“त्याग वही है, जो कर के भी दिखाया न जाए, यदि हम किसी के लिए
Ranjeet kumar patre
लाख पतन हो जाए फिर भी हार नहीं मानूंगा मैं !
लाख पतन हो जाए फिर भी हार नहीं मानूंगा मैं !
पूर्वार्थ देव
आज के रिश्ते: ए
आज के रिश्ते: ए
पूर्वार्थ
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
Neelofar Khan
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
लिफाफा देखकर पढ़ते
लिफाफा देखकर पढ़ते
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं प्यार का इकरार कैसे करता
मैं प्यार का इकरार कैसे करता
Bhupendra Rawat
#गुरु ही साक्षात ईश्वर (गुरु पूर्णिमा पर्व की अनंत हार्दिक श
#गुरु ही साक्षात ईश्वर (गुरु पूर्णिमा पर्व की अनंत हार्दिक श
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
रोला छंद. . .
रोला छंद. . .
sushil sarna
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
जन्मजात जो है गरीब तो क्या?
Sanjay ' शून्य'
" रिश्ता "
Dr. Kishan tandon kranti
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
Ravi Prakash
यदि आप नंगे है ,
यदि आप नंगे है ,
शेखर सिंह
हर कोई समझ ले,
हर कोई समझ ले,
Yogendra Chaturwedi
गुज़रते वक़्त के साथ
गुज़रते वक़्त के साथ
हिमांशु Kulshrestha
आजादी (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
आजादी (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
पंकज कुमार कर्ण
शिद्दतों  का  खुमार  है शायद
शिद्दतों का खुमार है शायद
Dr fauzia Naseem shad
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
मैं तुमसे रूठना भी चाहू तो, रूठ नही पाता हूँ ।
मैं तुमसे रूठना भी चाहू तो, रूठ नही पाता हूँ ।
ललकार भारद्वाज
Loading...