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26 May 2024 · 1 min read

हर कोई समझ ले,

हर कोई समझ ले,
वो मैं खुली किताब नहीं ।
एक नजर में पढ़ा जाए,
ऐसा मेरा जज्बात नही।
………✍️ योगेन्द्र चतुर्वेदी

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