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9 Oct 2017 · 1 min read

*** बोझ खच्चर-सा ***

ढ़ोया हूं बोझ खच्चर-सा जिंदगी का अब

नही दिन-रात फ़िक्र में सोया जिंदगी अब

तेरी पेहरन – उतार फेंकना चाहता हूँ जिंदगी

खोया ख्याल-ए- मौत बड़ी देर से रब अब ।।

?मधुप बैरागी

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