– इससे ज्यादा क्या कहू –
– इससे ज्यादा क्या कहू –
मृगनयनी से नैन तुम्हारे ,
नागिन जैसी चाल,
गुलाब जैसे गाल तुम्हारे ,
तीखी सी तुम्हारी नाक,
रेशम जैसी जुल्फे तेरी,
कमर है जैसे कटार,
कोमल तेरे हाथ है प्रिये,
लगती हो तुम कमाल,
लगती हो तुम स्वर्ग की अप्सरा सी,
हो तुम मेनका व ऊर्वशी के समान,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान