छोटी चिड़िया (गौरेया)

याद आई वह नन्ही चिड़िया, छोटी चिड़िया।
खूब चीं चीं करती थी जो आंगन में।
तिनका तिनका चोंच से लाती,
अपने साथी चिडे से मदद मांगती।
उसने बना लिया था आशियाना,
घर की दीवार के पीछे छोटी दराज में।
रोज देखते हम सब बच्चे,
उसके अंडे सलामत देख, जाते स्कूल।
होली के बाद, चूजे देखे तो नहीं गये स्कूल।।
नन्ही चिड़िया उड़ जाती दाना लेकर आती,
उसके चूजे चोंच निकालते उसको खिलाती।
कभी नल में भी नहा लेती थी वह चिड़िया।
आज मुझे वापस याद आई, वह नन्ही चिड़िया,
दीवार के प्लास्टर की बात जब आई।
कहां गई हो गौरैया कहां गई वो चिड़िया।
बचपन जिसमें होता पूरा, बातें थी वो बढ़िया।।
मन करता है वापस लौटे, आए वो दिन भी,
हो वही बचपन और वही हो छोटी चिड़िया—
(विश्व गौरैया दिवस पर समर्पित बालकविता)
(लेखक- डॉ शिव लहरी)