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23 Mar 2024 · 1 min read

आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे

आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
दिनकर की रश्मियों सी,हूँ चाहती चमकना
अपवाद बनके जीना,सीमाएं तोड़ देना
अपनी सड़क बनाना,अपने ही पाँव चलना
नाकामियों से बाहर, उपलब्धियों को पाना
मैं आज चाहती हूँ,क़िस्मत का रूख बदलना

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