आओ कुंज बिहारी भजन अरविंद भारद्वाज
आओ कुंज बिहारी
आओ कुंज बिहारी कहाँ हो, मेरे मन में समाओ जहाँ हो
आँखों का पानी कहे, कैसे तेरे बिन रहे
मेरे कुंज बिहारी कहाँ हो, मेरे मन में समाओ जहाँ हो
आँखों का पानी कहे, कैसे तेरे बिन रहे
कोई भी है नहीं, दर्द मन का सुने
मुश्किलों में है जान, राह कौन सी चुने
लगता है मुझको डर, ढूँढ़ता मैं तेरा दर
विरह की पीड़ा को, भक्त तेरा ये सहे
आँखों का पानी कहे, कैसे तेरे बिन रहे
सुन लो गिरधारी, विनती ये मेरी
शरण में आया हूँ, कान्हा जी मैं तेरी
दूर पीड़ा को करो, कष्ट मेरे हरो
तरसती आँख है, आँसू आँख से बहे
आँखों का पानी कहे, कैसे तेरे बिन रहे
मुरारी देवकीनंदन, लगाऊँ तुमको चंदन
खुशियाँ झोली भरो, तोड़ दो ये बंधन
लिखे अरविंद भजन ये, भक्त तेरा कहे
दर्श फिर से दिखा, कष्ट कोई ना सहे
आँखों का पानी कहे, कैसे तेरे बिन रहे
© अरविंद भारद्वाज