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2 Oct 2023 · 1 min read

*ग़ज़ल*

सुनाओ दर्द अपना तुम निकलकर हल भी आएगा
अँधेरा आज है तो क्या उजाला कल भी आएगा/1

छिपाए राज बीमारी लगा देंगे छिपाओ मत
लगा है नल अगर प्यारे कभी तो जल भी आएगा/2

मनाओ ज़श्न पर हमको बुला लेना मुहब्बत से
मिटा है प्यार अनजाने दुबारा खिल भी आएगा/3

जताते हो बताते हो निभाते पर नहीं उल्फ़त
सुहाने हर सफ़र के बाद चलकर छल भी आएगा/4

जिसे चाहो दग़ा उससे कभी करना नहीं भूले
रुलाए ख़ून के आँसू नहीं तो पल भी आएगा/5

कभी देखो कहीं देखो मगर देखो मुहब्बत से
बड़ा प्यारा नफ़ासत का क़दर कर फल भी आएगा/6

तुम्हारा दिल चमन से कम नहीं ‘प्रीतम’ अगर सुनलो
बहारों का लिए चाहत फ़िदा हो दल भी आएगा/7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
87 Views
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
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