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6 Jan 2024 · 1 min read

“स्पन्दन”

‘स्पन्दन’ का अर्थ किसी वस्तु का शनैः शनैः हिलना, काँपना अथवा शरीर के अंगों आदि का फड़कना होता है। स्पन्दन के कारण ही दिल, दिल है। हृदय में स्पन्दन ना होने पर जीवन का अन्त हो जाता है। स्पन्दन के फलस्वरूप ही कवि अपनी कविताओं के माध्यम से वर्जनाओं का वृत्त और सर्जनाओं की सौम्य-सम्पदा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता है। जरा गौर फरमाएँ :

जब मेरे दिल में कुछ नहीं होता
तब लगता कंगाल हूँ मैं,
प्रेम और अहसास के बिना
कौन कहेगा मालामाल हूँ मैं?

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 163 Views
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