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22 Sep 2024 · 1 min read

"बेटी दिवस, 2024 पर विशेष .."

“बेटी घर की शोभा है”, कहने से चलता काम नहीं,
बंग डॉक्टर बेटी का भी, जाय व्यर्थ बलिदान नहीं l

इच्छा शक्ति प्रबल यदि हो, फिर कोई कठिन मुक़ाम नहीं,
ठोस नियम बिन,अपराधों पर लगती कोई लगाम नहीं l

राम, कृष्ण की धरती है, क्या इतना भी भान नहीं,
रावण, दुर्योधन के कुकर्म के अंतों का भी ज्ञान नहीं l

विघटन ही परिणति होती, यदि हो समाज गतिमान नहीं,
अब बलात्कारी को निश्चित, मिले क्षमा का दान नहीं l

नैतिक शिक्षा पर बल हो, वर्ना रुचिकर अंजाम नहीं,
बेटी के बिन, तो समाज का, पूर्ण कोई आयाम नहीं l

बेटी नहीं सुरक्षित यदि, तो खेत नहीं खलिहान नहीं,
किसी तरक्की का फिर हम, लेँगे कदापि सँज्ञान नहीं l

हम कैन्डिल मार्च निकाले हैं, यह होता कोई जवाब नहीं,
ना चैन कभी लेँगे तब तक, जब तक हो उचित हिसाब नहीं।

सत्य नहीं विचलित होता, कितना भी कहो प्रमाण नहीं,
कालि-स्वरूपा नारी के, बल से भी रह, अनजान नहीं l

“आशा” देशवासियों से, हो बहनों का अपमान नहीं,
ह्रदय विदारक है स्थिति, यदि बेटी का सम्मान नहीं..!

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