Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2024 · 1 min read

या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,

या खुदाया !! क्या मेरी आर्ज़ुएं ,
और क्या ही मेरे दम तोड़ते अरमान ।
और मेरी ख्वाहिशें भी क्या ?
सब के सब हो गए हैं ,
मेरी कमनसीबी पर कुर्बान ।

1 Like · 91 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

उन्हें इल्म हो भी तो कैसे इश्क का,
उन्हें इल्म हो भी तो कैसे इश्क का,
श्याम सांवरा
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
3170.*पूर्णिका*
3170.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुमने सुनना ही कब हमें चाहा,
तुमने सुनना ही कब हमें चाहा,
Dr fauzia Naseem shad
- लोग दिखावे में मर रहे -
- लोग दिखावे में मर रहे -
bharat gehlot
"मिल ही जाएगा"
ओसमणी साहू 'ओश'
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
पूर्वार्थ
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
पंकज कुमार कर्ण
मुझे इश्क है तुझसे ये किसी से छुपा नहीं
मुझे इश्क है तुझसे ये किसी से छुपा नहीं
Jyoti Roshni
#गांव_के_बियाह
#गांव_के_बियाह
Rituraj shivem verma
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
Shweta Soni
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
मोहब्बत ना सही तू नफ़रत ही जताया कर
Gouri tiwari
!! मुरली की चाह‌ !!
!! मुरली की चाह‌ !!
Chunnu Lal Gupta
माता की ममता
माता की ममता
अवध किशोर 'अवधू'
तुझे देखा , तुझे चाहा , तु ही तो साथ हरदम है ,
तुझे देखा , तुझे चाहा , तु ही तो साथ हरदम है ,
Neelofar Khan
हे आदिशक्ति, हे देव माता, तुम्हीं से जग है जगत तुम्ही हो।।
हे आदिशक्ति, हे देव माता, तुम्हीं से जग है जगत तुम्ही हो।।
Abhishek Soni
"तलाशिए"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसा क्यूं है??
ऐसा क्यूं है??
Kanchan Alok Malu
आधुनिक युग और नशा
आधुनिक युग और नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
🙅आज का सबक़🙅
🙅आज का सबक़🙅
*प्रणय*
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
वन्दे मातरम् ( घनाक्षरी छंद)
guru saxena
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
Sunil Suman
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
बात खो गई
बात खो गई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते  कहीं वे और है
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते कहीं वे और है
DrLakshman Jha Parimal
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
संवेदना -जीवन का क्रम
संवेदना -जीवन का क्रम
Rekha Drolia
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
Loading...