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22 Feb 2024 · 1 min read

युद्ध का आखरी दिन

लड़े बड़े शोर से
निर्भय और जोश में ।
अंग से अंग टूटे
युद्ध के इतिहास में ।।

कौन देश पाया होगा?
क्या वेश पाया होगा ।
रक्त से रंजित धरा में
कुछ न शेष पाया होगा ।।

स्थिति विकराल हैं
चारों ओर हा हा कार है ।
देह पर आयुध का
ये कौन–सा परिणाम है ।।

यही कल्पना का संसार है
मानवों का प्यार है।
कौन है जो लड़ रहे
यह भी अपमान है।।

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