खरी और सच्ची गादी है/ वागेश्वर धाम पर आधारित लंबा गीत

चौबिस कैरिट
सोलह आना
खरी और
सच्ची गादी है ।
मारक आँखें
सुंदर चेहरा
बैठ गया
महराज नवेला ।
अगर-सुगंधित
कर्ण-बालियाँ
माथे तिलक
दिए अलबेला ।
मंत्र फूकता
भूत झारता
नज़र सामने
फ़रियादी है ।
सिने तारिका
और सितारे
सिद्ध-पीठ पर
पेशी करते ।
छोटे,मझले
और बड़े सब
चरण-धूल
माथे पर धरते ।
चमत्कार के
नमस्कार पर
मत्था टेक-
रही खादी है ।
पितर दोष हो
या प्रकोप हो
याकि लगे हों
भूत-परीत ।
फूक मारकर
पल में बाबा
मिट्टी सबकी
करे पलीत ।
बीमारों की
लाचारों की
बढ़ती जाती
आबादी है ।
कोई कहता
पाखंडी है
पर्चे की सेटिंग
करता है ।
एक साक्ष्य भी
खोज न पाया
जो भी ऐसा
दम भरता है ।
जिन पर भी
छाया बाबा की
उनकी अब
चाँदी-चाँदी है ।
नर्तक झुकते
गायक झुकते
पहलवान भी
झुक जाते हैं ।
बकबक करते
पत्रकार भी
बदल पेंतरा
रुक जाते हैं ।
गगन चूमती
इस प्रसिद्धि पर
रोज़-रोज़
झुकती खादी है ।
साबर मंत्र
जाल फैला है
बाहुक भी है
औ’ चालीसा ।
रामनाम की
गूँज अपरिमित
क्या पिशाचिनी ?
क्या खब्बीसा ?
वाक्-सिद्धि की
इस विद्या पर
मोहित सारी
आबादी है ।
मंत्र-सिद्धि है
या पूजा है
याकि धर्म
बना व्यापार ।
यह कहता
हनुमत की छाया
औ’ दादा का
है उपकार ।
पता नहीं, सच
क्या है ? लेकिन
आकर्षित
वादी-वादी है ।
जोड़-जाड़ कर
व्याह कराता
निम्न वर्ग की
कन्याओं के ।
कष्ट निवारण
करता है यह
सुहागिनों के,
विधवाओं के ।
इनोसेंट है
और बैचलर
हुई नहीं अब-
तक शादी है ।
रामभद्र
शिक्षा देते हैं
और प्रशिक्षक
रामभक्त हैं ।
अनुकंपा
सन्यासी जी की
आकर्षित
सारे विरक्त हैं ।
हीरो जैसी
अदा मोहिनी
धर्म-प्रदर्शन
की आदी है ।
वैदिक और
तांत्रिक संगम
और परा-
विज्ञान विधा ।
ठठरी बाँधे
नित पापों की
बरसाती है
पुण्य-सुधा ।
कथा संस्कृत
के ग्रंथों की
भाषा-
बुंदेली सादी है ।
कभी बुद्ध में
निष्ठा दिखती
ओशो से भी
आकर्षित है ।
जैन साधुओं
की चर्या पर
लगता जैसे
यह अर्पित है ।
कोई कहता
निरा-ब्राह्मण
कोई कहता
मनुवादी है ।
बड़े-बड़े
विद्वान देश के
लोहा इसका
मान रहे ।
प्रिंट-मीडिया
टी.व्ही,बाले
कर इसका
गुणगान रहे ।
आलोचक कम
अधिक समर्थक
आख़िर ! यह
किसकी गादी है ?
दिव्य-शक्तियाँ
सचमुच होतीं
या केवल
कोरा संभ्रम है ।
सूक्ष्म-शक्तियाँ
विचरण करतीं
या पीछे से
कोई दम है ।
कुछ भी हो,पर
इस बालक ने
नई एक
प्रत्याशा दी है ।
शरणागत
संसद ब्रिटेन की
और विदेशों
की जनता ।
बाल्य-रूप-
बालाजी हनु पर
लुटा रही
अपनी ममता ।
बागेश्वर का
धाम निराला
सत्य-सनातन
का हादी है ।
आंजनेय का
यदि सच्चा
है यह
आराधन औ’ पूजन ।
तो फिर
तर्क-बुद्धि से
इसको समझ
नहीं सकता कोई जन !
मस्तानों की
मस्ती है यह
औ’ भक्तों की
आजादी है ।
चौबिस कैरिट
सोलह आना
खरी और
सच्ची गादी है ।
००
हादी यानि निर्देशक
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी
हिंदी एवं बुंदेली कवि
(राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त)
छिरारी(रहली),सागर
मध्यप्रदेश-470227
मो.-7000939929
व्हाट्सएप-8463884927