Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

वसुधैव कुटुम्बकम्

करना है जो कर लो मानव, पर मत भूलो अपना उद्यम ।
इस जग के हैं बस हम पंछी, जाने कब किधर उड़ चलेंगे हम।
क्यो सोच रहे हो यह मेरा, वह है तुम्हारा, बन जग बैरी, मत करो अधम ।
मानव है मानव का बंधु, फिर क्यों करते हम और तुम ।
हे मानव निज स्वार्थ त्याग कर, दीन हीन पर करो रहम ।
जो नर मरते नाहक जीवन से, उनके समृद्ध पथ पर कुछ करो करम ।
तुम मानुष शूरवीर धरा के, हरण करो औरों का तम ।
हम सब हैं जिस धरणी के ऋणी, करो न उनका गौरव कम ।
मानव का मानव से नाता ,जोड़ रहेंगे एक दिन हम ।
पुरुषार्थ प्रदर्शन करना है तो, मानवता का कर उद्गम ।
परोपकारी बनो जगत के, अलख जला वसुधैव कुटुम्बकम् ।- –
* उमा झा*

Language: Hindi
2 Likes · 128 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all

You may also like these posts

सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम्हारी शरारतें
तुम्हारी शरारतें
Surinder blackpen
सोच हो आसमान की बुलंदियों पर, ना छोड़ें अपनी ज़मीं।
सोच हो आसमान की बुलंदियों पर, ना छोड़ें अपनी ज़मीं।
Ajit Kumar "Karn"
नये वर्ष 2025 के स्वागत में
नये वर्ष 2025 के स्वागत में
gurudeenverma198
शून्य से अनंत
शून्य से अनंत
The_dk_poetry
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गज़ल काफिर कौन
गज़ल काफिर कौन
Mahender Singh
ओ *बहने* मेरी तो हंसती रवे..
ओ *बहने* मेरी तो हंसती रवे..
Vishal Prajapati
अधि वर्ष
अधि वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
त्यागने से जागने की ओर - रविकेश झा
त्यागने से जागने की ओर - रविकेश झा
Ravikesh Jha
*शिक्षक जुगनू बन जाते हैँ*
*शिक्षक जुगनू बन जाते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रिश्ते रेशम डोर से,
रिश्ते रेशम डोर से,
sushil sarna
कल की चिंता छोड़कर....
कल की चिंता छोड़कर....
जगदीश लववंशी
"ये जान लो"
Dr. Kishan tandon kranti
विराट सौंदर्य
विराट सौंदर्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कहन को जीवात्मा ज्ञानी सभी
कहन को जीवात्मा ज्ञानी सभी
संजय निराला
..
..
*प्रणय प्रभात*
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
Acharya Rama Nand Mandal
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
When you start a relationship you commit:
When you start a relationship you commit:
पूर्वार्थ
हिंदी दोहे - दही
हिंदी दोहे - दही
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपनी मर्ज़ी के
अपनी मर्ज़ी के
Dr fauzia Naseem shad
नरकालय
नरकालय
Acharya Shilak Ram
वसन्त
वसन्त
विशाल शुक्ल
भारत की गौरवशाली परंपरा का गुणगान लिखो।
भारत की गौरवशाली परंपरा का गुणगान लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सात जन्मों की शपथ
सात जन्मों की शपथ
Bodhisatva kastooriya
अर्थार्जन का सुखद संयोग
अर्थार्जन का सुखद संयोग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...