तुम्हारी शरारतें
तुम्हारी शरारतें, मन को भा जाती है
बहुत बार नया कुछ सिखला जाती है
मेरे सोते ही तुम्हारा बिस्तर से उतरना
छोटे हाथों से खिलौनों का बिखरना।
खाने को देख तेरा आगे आगे भागना
दौड़ते भागते तेरा पूरे घर को नापना।
दूध की बात करूं तो करता है नखरे
छोटे कान्हा ,ये अंदाज तेरे है वखरे
सताया न कर इतना, मैं हूं तेरी मैया
मान जाया कर जल्दी, मेरे कन्हैया।
सुरिंदर कौर