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21 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

करे चुगली उजाड़े घर उसे इंसान मत कहना
लिए दलदल गुनाहों का उसे मैदान मत कहना/1

बुराई कर किसी की हम अगर औक़ात भूले जो
जलालत है हमारी ये इसे सम्मान मत कहना/2

कभी अपना कभी उनका ज़रा-सा ख़्याल रख लेना
मिले शोहरत मगर ख़ुद को कभी भगवान मत कहना/3

कहीं सपने कहीं अपने अगर दम तोड़ देते हैं
अकेले ही चलो हँसकर सफ़र अनजान मत कहना/4

मुहब्बत से मुहब्बत को अगर जीते यहाँ कोई
वही है मर्द उसको तुम कभी नादान मत कहना/5

किसी का दिल जलाकर भी जलोगे तुम तन्हाई में
जहाँ नफ़रत सुनाए धुन उसे सुर गान मत कहना/6

लिखे ‘प्रीतम’ इबादत वो ज़माना झूम जाए सुन
बड़ी हसरत यही दिल की इसे गुणगान मत कहना/7

आर.एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 161 Views
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