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18 May 2024 · 1 min read

देख विस्तार , काँपने लगे हम....

71….

KHafef musaddas maKHbuun mahzuuf
faa’ilaatun mufaa’ilun fa’ilun
2122 1212 112

देख विस्तार , काँपने लगे हम
अपना क़द फिर से, नापने लगे हम
#
हम थे बेबस यही, मलाल रहा
आइना साफ ढाँपने लगे हम
#
हर सहूलत यहाँ इमान बिका
हाशिये पर ये छापने लगे हम
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ढूंढ लो आदमी बगैर पता
वोट जंगल ये भांपने लगे हम
#
काश अच्छे दिनों की जाप न हो
आँच आसान तापने लगे हम
##

सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
14.4.24

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