Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

कुछ शब्द कुछ भाव कविता

कुछ शब्द इकट्ठे करता हूं
कुछ भाव इकट्ठे करता हूं
दुख दर्द लिए फिरते हैं
कुछ आस लिए फिरते हैं
कुछ दर्द बयां करते अपना
कुछ चेहरे पर आभास लिए फिरते हैं दुख में पिसती इस दुनिया के
कुछ घाव इकट्ठे करता हूं
इस रंग रंगीली दुनिया में
दुख संकट है भारी भारी
इस गम के साये मे रहकर भी
खुश रंग रहे दुनिया सारी
इसी तरह के मैं अपने
कुछ ख्वाब इकट्ठे करता हूं
शोषण से भरी दुपहरी में
धन दौलत की चाहत में
इस गर्म हवा के झोंके से
खुद मानवता हीं घायल है
इस जलती तपती गर्मी में
कुछ छांव इकट्ठे करता हूं
कुछ शब्द इकट्ठे करता हूं
कुछ भाव इकट्ठे करता हूं

@ओम प्रकाश मीना

Language: Hindi
83 Views
Books from OM PRAKASH MEENA
View all

You may also like these posts

समय सदा एक सा नही रहता है।
समय सदा एक सा नही रहता है।
Mangu singh
मेरे कॉलेज की वह लड़की
मेरे कॉलेज की वह लड़की
डॉ. एकान्त नेगी
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
Manisha Manjari
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
नहीं मिलना हो जो..नहीं मिलता
नहीं मिलना हो जो..नहीं मिलता
Shweta Soni
क्या यही हैं वो रिश्तें ?
क्या यही हैं वो रिश्तें ?
gurudeenverma198
Stay grounded
Stay grounded
Bidyadhar Mantry
मे आदमी नही हु
मे आदमी नही हु
पूर्वार्थ
कवि मन
कवि मन
Rajesh Kumar Kaurav
क़ज़ा के नाम पैगाम .. (गज़ल)
क़ज़ा के नाम पैगाम .. (गज़ल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
धनिकों के आगे फेल
धनिकों के आगे फेल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आज हैं कल हम ना होंगे
आज हैं कल हम ना होंगे
DrLakshman Jha Parimal
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय*
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
डायरी में शायरी...1
डायरी में शायरी...1
आर.एस. 'प्रीतम'
मंहगाई की हालत क्या है पूछो बाजार से
मंहगाई की हालत क्या है पूछो बाजार से
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
,,,,,,
,,,,,,
शेखर सिंह
ज्योति हाॅस्पिटल
ज्योति हाॅस्पिटल
डॉ.सतगुरु प्रेमी
3310.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3310.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
हिमांशु Kulshrestha
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
shabina. Naaz
ओ री गौरैया
ओ री गौरैया
Usha Gupta
अंदाज़-ऐ बयां
अंदाज़-ऐ बयां
अखिलेश 'अखिल'
जीवन से  प्यार करो।
जीवन से प्यार करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
आज सत्य को जानने का अवसर।
आज सत्य को जानने का अवसर।
Ravikesh Jha
बेटियां
बेटियां
indu parashar
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
Loading...