Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

फागुनी धूप, बसंती झोंके

फागुनी धूप, बसंती झोंके
लहलहाते हुए सरसों के खेत
पीले फूलों पे गुलाबी तितली
देह धरती की हो गई पीली,
मन जिसे देख हो गया पुलकित
याद आईं पुरानी स्मृतियां
जो ह्रदय पर,,
अभी भी हैं अंकित।

168 Views
Books from Shweta Soni
View all

You may also like these posts

*जिंदगी  जीने  का नाम है*
*जिंदगी जीने का नाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नहीं हो रहा है भरोसा उन पर!
नहीं हो रहा है भरोसा उन पर!
Jaikrishan Uniyal
भोले बाबा है नमन
भोले बाबा है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
नफ़रतें बेहिसाब आने दो।
नफ़रतें बेहिसाब आने दो।
पंकज परिंदा
कर्म पथ
कर्म पथ
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
नज़्म
नज़्म
Jai Prakash Srivastav
You lose when you wish to win.
You lose when you wish to win.
पूर्वार्थ
मत्तगयंद सवैया
मत्तगयंद सवैया
जगदीश शर्मा सहज
वक्त की रेत पर
वक्त की रेत पर
करन ''केसरा''
सांवरे मुरझाए हुए फूलों से कभी,
सांवरे मुरझाए हुए फूलों से कभी,
श्याम सांवरा
नवरात्रि गीत
नवरात्रि गीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
भूल
भूल
Rambali Mishra
आओ बैठो पास हमारे
आओ बैठो पास हमारे
Dr. Bharati Varma Bourai
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
डॉ. दीपक बवेजा
■ तेवरी-
■ तेवरी-
*प्रणय*
बरसातो का मौसम
बरसातो का मौसम
Akash RC Sharma
अच्छे दोस्त भी अब आंखों में खटकने लगे हैं,
अच्छे दोस्त भी अब आंखों में खटकने लगे हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा
देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
Sunil Maheshwari
There is no rain
There is no rain
Otteri Selvakumar
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
Befikr Lafz
इस दौलत इस शोहरत से सुकून
इस दौलत इस शोहरत से सुकून
VINOD CHAUHAN
"ज्यादा हो गया"
ओसमणी साहू 'ओश'
*खुशी मनाती आज अयोध्या, रामलला के आने की (हिंदी गजल)*
*खुशी मनाती आज अयोध्या, रामलला के आने की (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
‘तेवरी’ अपना काव्यशास्त्र स्वयं रच रही है +डॉ. कृष्णावतार ‘करुण’
‘तेवरी’ अपना काव्यशास्त्र स्वयं रच रही है +डॉ. कृष्णावतार ‘करुण’
कवि रमेशराज
4821.*पूर्णिका*
4821.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...