नरकालय
नरकालय
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जब भी देखता अव्यवस्था संसार!
रोने का मन करता बार -बार!!
कोशिश करता जितना खुद वश में!
समान रहकर यश- अपयश में!!
हस्तक्षेप करने का नहीं
जुगाड़!
आगे – पीछे नहीं कोई आड़!!
सजा निश्चित यहाँ सच कहने की!
आदत डाल लो अन्याय सहने की!!
ऊपर से नीचे तक सडांध भरी है!
गुलामी करना सरकारी नौकरी है!!
ऊपर बैठे यदि सद् चरित्र हों!
सुधर जायेंगे जितने भी भीतर हों!!
गौमुख में ही गंगा मैय्या मैली हों!
कूड़ा कचरा जन मैली -कुचैली हों!!
कभी भी शुद्धिकरण नहीं हो पायेगा!
कोई अग्रवाल पर्यावरणविद् बतायेगा!!
इतना भ्रष्ट नहीं सरकारी कर्मचारी!
ऊपर विराजमान गलती हो सारी!!
टिकने नहीं देते यहाँ निष्ठावान को!
कोई नहीं तत्पर पुरुषार्थ सम्मान को!!
हर विभाग में चल रही टांगखिंचाई!
सरकारी सुरक्षा इनको मिली भाई!!
प्रतिभाशाली को टिकने नहीं देते!
मेहनती होने का हिसाब ले लेते!!
नेताओं के हस्तक्षेप ने किया बर्बाद!
मेहनतकश यहाँ नहीं आजाद!!
चोर,चापलूस,निठल्लों की सत्ता है!
कुरुक्षेत्र,दिल्ली,चैन्नई, कलकत्ता है!!
भ्रष्टाचारी होने पर मिलते पुरस्कार!
सत्य राष्ट्रवादी दंडित सरकार!!
धींगामस्ती चहुंदिशा चल रहा जोर!
झूठे विकास का मचा रहे शोर!!
विश्वविद्यालयों का सुनो बेड़ा गर्क है!
समस्त भारत में नहीं कोई फर्क है!!
चार-चार लाख पारिश्रमिक दिया जाता!
फिर भी कक्षाओं को नहीं लिया जाता!!
नहीं कोई शिक्षा, नहीं कोई शोध है!
शिक्षक -कर्तव्य का न कोई बोध है!!
रिश्वत,सिफारिश से मिल गई नौकरी!
विवाह हो गया नव-यौवना छौकरी!!
सरकार भी नहीं चाहती शिक्षित युवा!
शिक्षित होना बना महंगा जुआ!!
इनको चाहिये बस ऐसा युवा -वर्ग!
अंधभक्ति और दासता को माने स्वर्ग!!
हाँ जी , हाँ जी बस करते रहो!
इनकी ही जय -जयकार कहो!!
विरोध नहीं किसी भी बात का!
आघात करें चाहे घूस्से लात का!!
चापलूसी इनके संग समझदारी है!
सफल वही यहाँ जो व्यवहारी है!!
अन्यथा पग पग अपमान मिलेगा!
शोषण दुत्कार का कैक्टस खिलेगा!!
अंग्रेजियत इनकी घुसी खोपडी!
मैक्समूलर ,मैकाले पी गये जडी!!
राष्ट्रप्रेम का मौजूद नहीं अंश!
सनातन विरोध को दुर्योधन, कंस!!
समस्त शिक्षा -व्यवस्था चाट रहे हैं!
पूंजीपतियों को रेवड़ियाँ बांट रहे हैं!!
विश्वगुरु नहीं विश्वगरीब बना रहे हैं!
धन्ना सेठ ही अय्याशी मना रहे हैं!!
फिर से जरुरत समग्र क्रांति की!
कुछ वर्ष भूला दो बातचीत शांति की!!
काले लूटेरों को सबक सिखाना है!
सबके विकास की गाड़ी चलाना है!!
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आचार्य शीलक राम