Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 2 min read

जीवन साँझ —–

आगे बढ़ चुकी आयु की नृत्यशाला में
कभी झंकार से तो कभी थाप से
संशोधित कर ली जाती है
जीने की कला।

भागम भाग का आलाप
इच्छाओं के साथ तारतम्य
बिठा नहीं पाता ।
हर मोर्चा इतना खोल देता है स्वयं को
कि कोई बंधन बांध नहीं पाता ।
हाईवे पर दौड़ती गाड़ियों की तरह
दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है
भीतर की गतिशीलता ।
और एक दिन—
एक कोना चुन लिया जाता है ।
मिथ्या, पीड़ा, क्लेश से
दृष्टि फ़ेर ली जाती है
क्योंकि पांव के साथ-साथ
जीने का शिल्प भी
संवेदनशील हो जाता है ।

दिन के बाद रात
रात के बाद दिन की प्रतीक्षा
भूरा रंग ओढ़े दूब के नीचे दुबकी
उसे वो धरती कर देती है
जिसके आसमान तक
किसी सड़क का निर्माण नहीं होता—।
जो अतीत के बुने सूत को
वर्तमान में भी काढ़ दे—
बारहमासी फूल— और उसकी पत्तियाँ ।

स्वर में कंपन की लहर उच्चारण बन जाती है
और उस लहर से कभी नहीं आ गिरती
कुछ सीपियाँ—-कुछ शंख ।
पानी के सानिध्य में पांव
रेत के सरकते स्पर्श से माथे पर
घबराहट की बूँदें छिड़क देते हैं ।

अनिमेष, प्रतीक्षारत
रिक्तता के आंगन में
इस आयु की पौध
इतनी व्यवस्थित हो जाती है
कि कोई गलबाही, कोई प्रेमिल स्पर्श
उस ठहराव की अनुभूति को
लिख नहीं पाता ।

अतीत के रोष पदचिन्ह बनकर
काल की अग्नि परीक्षाओं में तप कर
झुलसा देते हैं—चेहरा, हाथ, पांव
जिन्हें झुर्रियों की संज्ञा देकर —
आयु का नामकरण कर दिया जाता है।

एकांत पृथ्वी बराबर हो जाता है
जिसके मध्य बहते पानी से
कोई नाव नहीं निकलती
क्योंकि कहीं पहुँचना ही नहीं होता — ।

ईश्वर कोई चप्पू भी नहीं देता
जो धकेल दे उनकी तरफ सब कुछ ।
कह चुकने का जल
यदि भीतर ना समेटा जाए तो
एकांत की आग को बुझा नहीं पाता ।

जीवन का घमासान
पराजित नहीं करता
जीवन को अनुपस्थित कर देता है ।

असंख्य शब्द, भीतर के असंख्य खाली पात्र
अधिक क्रंदन, तिमिर का सीमाहीन चूर
स्थगित की गई कई नींदों में
कितने कम रह जाते हैं —–
बूढ़े होते मां और पिता ।

Language: Hindi
1 Like · 130 Views
Books from Shally Vij
View all

You may also like these posts

मेरी वफा की राह में
मेरी वफा की राह में
Minal Aggarwal
उत्तर से बढ़कर नहीं,
उत्तर से बढ़कर नहीं,
sushil sarna
गीत- ये विद्यालय हमारा है...
गीत- ये विद्यालय हमारा है...
आर.एस. 'प्रीतम'
नव-निवेदन
नव-निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
भारत
भारत
Ashwini sharma
"जरा सुनो तो"
Dr. Kishan tandon kranti
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
टूटा हुआ ख़्वाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
manjula chauhan
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
Phool gufran
शुभ शुभ हो दीपावली, दुख हों सबसे दूर
शुभ शुभ हो दीपावली, दुख हों सबसे दूर
Dr Archana Gupta
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
समाज का डर
समाज का डर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
शब्द
शब्द
Dr. Mahesh Kumawat
सपना बुझाला जहान
सपना बुझाला जहान
आकाश महेशपुरी
जीवन संगिनी
जीवन संगिनी
जगदीश लववंशी
लतियाते रहिये
लतियाते रहिये
विजय कुमार नामदेव
#लिख_के_रख_लो।
#लिख_के_रख_लो।
*प्रणय*
गुलजार हो गये
गुलजार हो गये
Mamta Rani
मुस्कुराता सा ख्वाब
मुस्कुराता सा ख्वाब
Akash RC Sharma
कहीं फूलों की साजिश में कोई पत्थर न हो जाये
कहीं फूलों की साजिश में कोई पत्थर न हो जाये
Mahendra Narayan
जुदाई
जुदाई
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
इंतहा
इंतहा
Kanchan Khanna
कभी-कभी कई मुलाकातों के बावजूद भी किसी से प्रेम नहीं होता है
कभी-कभी कई मुलाकातों के बावजूद भी किसी से प्रेम नहीं होता है
पूर्वार्थ
पुल
पुल
Uttirna Dhar
*नजारा फिर न आएगा (मुक्तक)*
*नजारा फिर न आएगा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
Piyush Goel
अर्ज किया है
अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मेरी अभिलाषा है
मेरी अभिलाषा है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
कविता
कविता
Nmita Sharma
Loading...