अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
तुम जो मिले तो
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
#भारतभूमि वंदे !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
अगर आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं हैं,तो कम से कम उन्
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
अबस ही डर रहा था अब तलक मैं