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26 May 2023 · 1 min read

संदेश नवप्रभात का

द्वार पर अरुणता लिए भोर दस्तक दे रहा है,
नव किरण को लिए नवप्रभात आ रहा है।

हर तम को भेदने का सुअवसर ला रहा है,
उल्लास के प्रकाश से तुमको उठा रहा है।

सुवासित हवाएं मस्तिष्क सहला रही है,
उठो, आगे बढ़ो ये चिड़िया चहचहा रही है।

सूर्य से नयी उर्जा का संचार हो रहा है,
आंखे खोलकर देखो नया बदलाव हो रहा है ।
।।रुचि दूबे।।

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