सोच हो आसमान की बुलंदियों पर, ना छोड़ें अपनी ज़मीं।
सोच हो आसमान की बुलंदियों पर, ना छोड़ें अपनी ज़मीं।
बढ़ते चलें मज़बूत इरादे लेकर, ना हो हौसलों में कोई कमी।
…. अजित कर्ण ✍️
सोच हो आसमान की बुलंदियों पर, ना छोड़ें अपनी ज़मीं।
बढ़ते चलें मज़बूत इरादे लेकर, ना हो हौसलों में कोई कमी।
…. अजित कर्ण ✍️