शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
“अर्थ” बिना नहीं “अर्थ” है कोई ...
स्मृति : पंडित प्रकाश चंद्र जी
चितौड़ में दरबार डोकरी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
काँटों ने हौले से चुभती बात कही
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
अगर कुछ करना है,तो कर डालो ,वरना शुरू भी मत करना!
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वीर गाथा - डी के निवातिया
भारती का मान बढ़ा
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
अपनी क़ीमत कोई नहीं रक्खी ,
संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं