Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Sep 2024 · 3 min read

#विषय गोचरी का महत्व

#नमन मंच
#विषय गोचरी का महत्व
#शीर्षक इंसान की विकृत मानसिकता
#दिनांक १७/०९/२०२४
#विद्या लेख

🙏राधे राधे भाई बहनों🙏
हर साप्ताहिक प्रोग्राम में हम किसी न किसी आध्यात्मिक व सामाजिक मुद्दे को लेकर चिंतन व चर्चा करते हैं, इसी कड़ी में आज हम जिस विषय पर चर्चा करने वाले हैं उसका नाम है ‘गोचरी’ !

पहले हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह गोचरी होता क्या, इस शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है !

‘गोचरी का अर्थ’
गौ माता के भोजन करने की पद्धति को गोचरी के नाम से जानते हैं, गौ माता जब जंगल में चारा चरनें जाती है, तब वह घास चरतें वक्त घास का एक बूटा यहां से फिर अगले दस कम पर दूसरा बूटा फिर अगले दस कदम पर तीसरा बूटा, थोड़ा यहां से थोड़ा वहां से इस प्रकार वह जगह छोड़कर घास चरतीं है, अपना पेट भरने तक वह कम से कम आधा से एक किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है,
गौ माता के इसी घास चरनें की पद्धति को गोचरी कहते हैं !

‘गोचरी का भाव’ (अर्थ )
अब यह समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर गौ माता ऐसा करती क्यों है, उसके भाव और मनोदशा को समझने की कोशिश करते हैं, जिसे हमारे शास्त्रों में बताया गया, गौ माता के इस प्रकार भोजन करने के पीछे का प्रयोजन यानी (भाव) गौ माता घास का एक बूटा यहां से चरने के बाद आगे बढ़ने के उद्देश्य के पीछे गौ माता की मंशा होती है मेरे पीछे जो मेरी (औलाद या बहनें) अन्य गौ माताएं मेरा अनुसरण करते हुए मेरे पीछे-पीछे चल रही उनके लिए घास कम न पड़ जाए, यह घास में उनके लिए छोड़ दूं और मैं आगे बढ़ जाऊं, इतना पावन व पवित्र भाव हमारी गौ माता के हृदय में ही हो सकता है !
इतना पावन व पवित्र भाव मुझे तो तीनों लोकों में कहीं नजर नहीं आता, देव-दानव व मानव अन्य जीव जंतु किसी में भी यह भावना बहुत कम देखने को मिलती है, जिस भावना की आज सबसे ज्यादा जरूरत है !

“इंसान की विकृत मानसिकता”
माया रुपी संसार में इंसान स्वाद, संवाद, और स्वार्थ के अत्यधिक सेवन से (लोभ इच्छा के वशीभूत) अपने जीवन को नर्क बना रहा है !
इच्छाओं की पूर्ति के समय अगर गोचरी के नियम का पालन किया जाए तो शायद प्रकृति में पाप और पुण्य का बैलेंस, धर्म व अधर्म का बैलेंस अपने आप हो जाएगा, क्योंकि धरती माता के गर्भ भंडार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं, पर क्या करें इंसान की लोभी मानसिकता इतनी विकृत हो चुकी है उसके पास सब कुछ होते हुए भी दूसरों के हक का भी उसे मिल जाए, इसी भावना के वशीभूत ना खुद चैन से जीता है ना किसी अन्य को जीने देता !

“गोचरी के लाभ”
इंसान अगर गोचरी को जीवन जीने की प्रक्रिया में अपना लें तो शायद मृत्यु लोक रुपी संसार में उसका आना सार्थक हो जाता है, गोचरी की तरह इंसान अगर मिल बांट कर खाने की प्रवृत्ति को अपना लें, मिलजुल कर सब का सहयोग करते हुए आगे बढ़ें तो शायद धरती पर हम स्वर्ग की कल्पना को साकार होते हुए देख सकते हैं !
जैन मुनियों में सच्चे साधु संतों में ऋषियों में यही भावना होती है, वे जब भिक्षा ग्रहण करने जाते तब इसी भावना के साथ भिक्षा ग्रहण करते हैं, और यही सच्ची संत परंपरा है !

“सारांश”
संसार में हो रही अनैतिक घटनाएं, इंसान की विकृत मानसिकता से उत्पन्न घृणित वातावरण के माहौल को देखकर, मन में उठी उज्जवल सोच को अपनी कलम के द्वारा समाज को जागरूक करना अपना कर्तव्य समझता हूं, परमार्थिक जगत उत्थान यज्ञ में इसी जन कल्याण भावना की आहुति प्रदान करता हूं !

आज के लिए इतना ही अगले सप्ताह फिर किसी नए सामाजिक व आध्यात्मिक विषय को लेकर उस पर चिंतन करेंगे !
मेरे इन विचारों से अगर किसी की भावना आहत होती है उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं छोटा भाई समझ कर माफ कर देना !

🙏राम राम जी🙏

स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
58 Views

You may also like these posts

मज़हब की आइसक्रीम
मज़हब की आइसक्रीम
singh kunwar sarvendra vikram
तन्हाई ही इंसान का सच्चा साथी है,
तन्हाई ही इंसान का सच्चा साथी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*थियोसोफी के अनुसार मृत्यु के बाद का जीवन*
*थियोसोफी के अनुसार मृत्यु के बाद का जीवन*
Ravi Prakash
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
*****हॄदय में राम*****
*****हॄदय में राम*****
Kavita Chouhan
बस्ते  का बोझ
बस्ते का बोझ
Rajesh Kumar Kaurav
" राजनीति"
Shakuntla Agarwal
2993.*पूर्णिका*
2993.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
എന്നിലെ എന്നെ നീ നിന്നിലെ ഞാനാക്കി മാറ്റിയ നിനെയാനാണെനിക് എന
എന്നിലെ എന്നെ നീ നിന്നിലെ ഞാനാക്കി മാറ്റിയ നിനെയാനാണെനിക് എന
Sreeraj
" मुक्ति "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारे इश्क़ में इस कदर खोई,
तुम्हारे इश्क़ में इस कदर खोई,
लक्ष्मी सिंह
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
इश्क का कारोबार
इश्क का कारोबार
dr rajmati Surana
आई तेरी याद तो,
आई तेरी याद तो,
sushil sarna
*दोस्त*
*दोस्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*चेहरे की मुस्कान*
*चेहरे की मुस्कान*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दोहे
दोहे
Rambali Mishra
इनका एहसास खूब होता है,
इनका एहसास खूब होता है,
Dr fauzia Naseem shad
पुष्प
पुष्प
Dinesh Kumar Gangwar
आओ मिलकर सुनाते हैं एक दूसरे को एक दूसरे की कहानी
आओ मिलकर सुनाते हैं एक दूसरे को एक दूसरे की कहानी
Sonam Puneet Dubey
दवाखाना  से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
दवाखाना से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
मुझे हार से डर नही लगता क्योंकि मैं जानता हूं यही हार एक दिन
Rj Anand Prajapati
आध्यात्मिक दृष्टि से जीवन जीना आवश्यक है, तभी हम बाहर और अंद
आध्यात्मिक दृष्टि से जीवन जीना आवश्यक है, तभी हम बाहर और अंद
Ravikesh Jha
आकर्षण
आकर्षण
Ritu Asooja
अपना गांव
अपना गांव
अनिल "आदर्श"
शीर्षक -ओ मन मोहन
शीर्षक -ओ मन मोहन
Sushma Singh
#अपील-
#अपील-
*प्रणय*
पाँच मिनट - कहानी
पाँच मिनट - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं मैं नहिंन ...हम हम कहिंन
मैं मैं नहिंन ...हम हम कहिंन
Laxmi Narayan Gupta
वो अपनी नज़रें क़िताबों में गड़ाए
वो अपनी नज़रें क़िताबों में गड़ाए
Shikha Mishra
Loading...