Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2024 · 3 min read

बालकों के जीवन में पुस्तकों का महत्व

✍️ लोकेश शर्मा ‘अवस्थी’

आज का आधुनिक युग तकनीक और प्रौद्योगिकी पर आधारित बच्चों का पुस्तकों के प्रति रुझान, आकर्षण एवं अभिरुचि होना वाकई अद्भुत वरदान साबित होता है।
बच्चों के बौद्धिक मानसिक विकास में अहम है, पुस्तकें वर्तमान समय में पुस्तकों से दूरी दिनों दिन बढ़ रही है। फिर भी इसकी व्यापकता असीमित है। पुस्तकों के तेजस्वी ज्ञान का प्रस्फुटन मानों अलौकिक अद्भुत उपहार है।
पुस्तकें बच्चों के भविष्य को न केवल रेखांकित करती हैं बल्कि उनको सही दीर्घगामी दिशा और दशा भी प्रदान करती हैं और उज्ज्वल जीवन निर्माण में विशेष आहुति का प्रमाण बनती है। अद्भुत ज्ञान का भंडार और प्रकाशित भविष्य का साक्षात प्रमाण मात्र पुस्तकें है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी कहते हैं कि नवरत्नों से बढ़कर किताबें अनमोल रत्न है जिसकी कीमत अमूल्य है।
बच्चों के जीवन में तीन ऐसे कारगर स्तंभ जो दुनिया से रूबरू कराते हैं।
बच्चों की पालनहार मां उसके मार्गदर्शक गुरू और दुनिया से पहचान एवं ज्ञान का भंडार पुस्तकें।
बालक मां की ममता से जुदा होकर गुरु के सानिध्य में मार्गदर्शन लेता है। जब वह स्लेट पर लिखना और पढ़ना सीखना है। इस कला में दक्ष सक्षम एवं कुशल होने पर परिपक्व बालक को पुस्तकों से रूबरू करवाया जाता है।
कहते भी है, कि पुस्तक इंसान की सबसे अच्छी और सच्ची मित्र होती है।
डॉ एन के सेठी कहते हैं
माता पुस्तक धारिणी, करती कृपा अपार।
करता उसकी भक्ति जो, मिट जाए अंधियार।।
किताबें बच्चों को न केवल ज्ञान वर्धित बनाती है,
बल्कि चहुर्मुखी मानसिक बौद्धिक विकास भी करती हैं।
किताबें कुछ कहना चाहती है, तुम्हारे पास रहना चाहती हैं । किताबों में ज्ञान की भरमार है, किताबों का कितना बड़ा संसार है।।
किताबों से विभिन्न प्रकार के ज्ञान की प्राप्ति तो होती ही है। इसके साथ ही बच्चों की किताबों में अभिरुचि का बढ़ना, वाकई जीवन को चरितार्थ करने जैसा है।

पुस्तकें हमारे जीवन की प्रत्येक समस्या और चुनौतियों से निजात पाने की क्षमता रखती हैं।
सद्चरित्र सद्भावना कैसे विकसे आज।
पुस्तक सच्चा मित्र है, भूला सकल समाज।।
पुस्तकें दुनिया को समझने सही गलत निर्णय लेने हमारे आदर्श, मार्गदर्शक एवं गुरु के रूप में हमारे जीवन में सकारात्मक, विचारात्मक एवं भावनात्मक रूप से विचारों को प्रबल और परिपक्व बनाती हैं।
बच्चों को सिखाती है किताबें बालकों का जीवन एक अनूठी दास्तान है उनका जीवन सही निर्णयों एवं उचित मार्गदर्शन का संबल परिणाम है।
इसलिए किताबें हमारी सहयात्री होती है।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते हैं-
बालकों के जीवन में पुस्तकें ही वे साधन है जिसकी मदद से हम संस्कृति और संस्कारों के बीच पुल का निर्माण करते हैं।
बालकों में अनुशासन, एकाग्रता, संस्कृति, संस्कार, भाषा कौशल, अभिवादन, नैतिकता, संवेदनशीलता, प्रबल इच्छा शक्ति निर्णय क्षमता इत्यादि समृद्ध गुणों का एक बालक में परिपक्व होने तक सुचारू रूप से ग्रहण होना आवश्यक है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य कहते हैं-
अच्छी श्रेष्ठ पुस्तकें देव प्रतिमा स्वरूप है। उनकी आराधना से तत्काल प्रकाश और उल्लास जीवन में मिलता है।
पुस्तकें हमारा मार्गदर्शन तो करती ही हैं , बल्कि बच्चों को जीना भी सिखाती हैं।
पुस्तकें हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की भावनाएं शिष्टाचार, धैर्यशील व्यक्तित्व का विकास, अनुशासित जीवन, समय प्रबंधन, लक्ष्य की प्राप्ति, जीवन का उद्देश्य, तनाव से मुक्ति, प्रेरणा से भरपूर, नवीन ज्ञान अर्जित इत्यादि जीवन में अनुभव करते हैं, सद्गुणों का विकास करती हैं।
सिरसो कहते हैं –
किताबों के बिना कमरा जैसे आत्मा के बिना शरीर।।

उसी तरह हम कह सकते हैं –
ज्ञान के बिना जीवन जैसे पशु समान शरीर।।
किताबें जीवन जीना ही नहीं सिखाती बल्कि जीवन के मूल्य, महत्व और अहमियत को भी सिखाती हैं।
बच्चों की नींव दरअसल किताबों से मजबूत और ज्ञानवर्धक होती हैं।
आज अंधेरा हो चला दिखती नहीं राह।
मित्र किताबों के बने मिट जाये हर दाह।।

साक्षात किताबें विद्या का स्वरूप है जिनके जीवन में इनका होना साक्षात मां शारदे की अनुकंपा आप पर बरसती रहेगी और आपका जीवन सदैव प्रकाशित होता रहेगा।।

धन्यवाद
लेखक लोकेश शर्मा

209 Views

You may also like these posts

"" *गणतंत्र दिवस* "" ( *26 जनवरी* )
सुनीलानंद महंत
सत्य का संधान
सत्य का संधान
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किस्त
किस्त
Diwakar Mahto
मन की बात न कहें, तो मन नहीं मानता
मन की बात न कहें, तो मन नहीं मानता
Meera Thakur
चेहरा
चेहरा
MEENU SHARMA
प्रेम की गहराई
प्रेम की गहराई
Dr Mukesh 'Aseemit'
तलाशता हूँ -
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ  
Atul "Krishn"
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
ललकार भारद्वाज
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
Vijay Nagar
क्या मिल गया तुझको
क्या मिल गया तुझको
Jyoti Roshni
#Kab tak
#Kab tak
"एकांत "उमेश*
आसमान का टुकड़ा भी
आसमान का टुकड़ा भी
Chitra Bisht
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
gurudeenverma198
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
*श्रीराम*
*श्रीराम*
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
दोहा पंचक. . . . मजदूर
दोहा पंचक. . . . मजदूर
sushil sarna
🇮🇳एक जमाना था...🥹🥺
🇮🇳एक जमाना था...🥹🥺
Rituraj shivem verma
कितना और सहे नारी ?
कितना और सहे नारी ?
Mukta Rashmi
23/96.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/96.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
त्याग
त्याग
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
एश्वर्य
एश्वर्य
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
खुद का साथ
खुद का साथ
Vivek Pandey
सत्कर्म करें
सत्कर्म करें
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*आंतरिक ऊर्जा*
*आंतरिक ऊर्जा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" महत्वाकांक्षा "
Dr. Kishan tandon kranti
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
Loading...