बाबा साहब तेरी महिमा

बाबा साहब तेरी महिमा,
तेरी करुणा से हम जीते है,
छूत अछूत कहलाने वाले,
स्वतन्त्र स्वाभिमान से रहते है।
तुम न होते बाबा साहेब,
क्या दीन दशा हमारी थी,
भैंस के बाल नाई काटे,
शूद्र पुकार के हमें दुत्कारे।
गले में हांडी टांग हमारे,
पीछे झाड़ू बांधे थे,
परछाईं से दूर है रहते,
इंसानियत को शर्मसार थे करते।
ऊँच नीच का भेद जो किया था,
समानता का न अधिकार था,
छोटी सी बात नहीं ये,
जल पीने का भी तरसते थे।
तन में कपड़े कहा से आए,
कह आबरू भी लूटते थे,
शूट बूट पहनकर तुमने,
घमंड चकनाचूर था किया।
जात पात के आड़े आकर,
शिक्षा से था वंचित किया,
कक्षा से बाहर बैठकर ,
अपमान सह कर यह अधिकार दिया।
धन्य है जो हुआ जन्म तुम्हारा,
उद्धार हमारा तुमसे ही है,
तुम्हीं हमारे मसीहा हो,
तुम भारत में महान हो।
रचनाकार
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।