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22 Apr 2024 · 1 min read

सांत्वना

” सान्त्वना

रास्ता हमारी सतारा के आवाजाही पर आकर
खालसा हमारी आरजू पर टिककर वो सामना कर परे हो गयी ।
. खामोशी खालसा की खास बनाकर
खरीद फरोश पर सान्तवना परे हो गयी l
रास लीला रास्ता पाल को राजी कराकर
अपनी आय पर उसकी सादगी हो गयी ।
खासम-खास वासी वो आज बताकर
खरास निकाळकर वो अदाएगी हो गयी !
आक्रोशी आकाश की आश बताकर
आवारगी उनकी उत्तेजना की सांत्वना हो गयी ll
चप्पल चम्पा का चदर पर
चाहत की चासनी को चुसकर चला गया ।.
चाकरी चवन्नी की चदर पर,
रख उसकी चाहत को चुककर चला गया ।
आगोश में आवेशित होकर रास बनाकर,
आवारगी उनकी उत्तेजना की सांत्वना हो गयी ll
लिखी खरीद-फरोश पर, बयान-बाजी अभी अधुरी हो गयी। खामोशी देख आक्रोशित मन पर कोलाहल का संग्राम हावि हो गया।
आक्रोश देख मन में उसके
बेकरारी तड़पकर परिणत की सान्तवना हो गयी !
अन्धो में राजा काणा दाव दिखाकर
चुप्पी साधने को मजबुर कर गया ।
कन्धो पर अर्थी अपनी आज थमाकर,
किसी ओर को निशाना साधने पर मजबुर कर गया ।

Language: Hindi
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