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15 Oct 2024 · 1 min read

एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!

एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
ये जान लें आप कि ऐसा क्यों करते हैं हम!
हम जीवन-स्तर की ऊंचाईयों को नहीं छूते,
इसीलिए मर-मरकर पुनः जीते रहते हैं हम!

…. अजित कर्ण ✍️

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