मौन
शब्दों के शोर में, गहराई में छिपा,
मौन है वह जो सब कुछ कहता।
आवाज़ की बाहरी सीमाओं से परे,
मन के अंतर को जोड़े, मौन रहता।
यह वह नहीं जो बस चुप्पी लाए,
यह तो वह है जो सब सुनाए।
न बोलते हुए भी हर बात कह दे,
दिलों के तारों को सुकून से सह ले।
मौन में छिपा है एक संसार,
जहां भावनाओं का है विस्तार।
न गिला, न शिकवा, न कोई सवाल,
बस एहसासों का सजीव मलाल।
यह नहीं कमजोरी, न हार की निशानी,
यह तो शक्ति है, एक आत्मा की कहानी।
जब शब्द अधूरे और भाव गहरे हों,
तब मौन की भाषा सबसे बेहतर हो।
सुनो इस मौन को, समझो इसकी बात,
यह देता है हमें शांति का सौगात।
शब्दों के पार की इस यात्रा में,
मौन ही है सच्चा साथी, अपने साथ में।
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”