यूँ ही नहीं
यूँ ही नहीं
एक खालीपन
मुझ में समाया होगा
अपने भीतर न जाने
क्या क्या दफ़नाया होगा
अब कहे भी नहीं जाते हैं
मुझसे हालात मेरे
शायद हो कर मजबूर
खामोशी से मैने
एक उम्र को बिताया होगा
हिमांशु Kulshrestha
यूँ ही नहीं
एक खालीपन
मुझ में समाया होगा
अपने भीतर न जाने
क्या क्या दफ़नाया होगा
अब कहे भी नहीं जाते हैं
मुझसे हालात मेरे
शायद हो कर मजबूर
खामोशी से मैने
एक उम्र को बिताया होगा
हिमांशु Kulshrestha