मेहनत के नतीजे ज़रूर मिलते हैं
मुसीबत को अवसर में बदलते हैं
मेहनत के नतीजे ज़रूर मिलते हैं।
थाली भर भर के खाना खाने से
दूसरों का यूं ही मज़ाक उड़ानें से
नाशुक्री के बोल बोलकर के
जो नहीं बोलते हैं तोलकर के
ऐसे लोग अपने आप को छलते हैं
मेहनत के नतीजे ज़रूर मिलते हैं।
लगातार कोशिश क्रांति लाती है
और सहनशीलता शांति लाती है
अकड़, ऐंठन का काम टूटना है
सुलझना तो आपस में जुटना है
कमल के फूल किचड़ में खिलते हैं
मेहनत के नतीजे ज़रूर मिलते हैं।
समय के साथ ढाला खुद को
विषम परिस्थिति में पाला खुद को
नाकामी के बहाने नहीं गिनाते हैं
संघर्षो को तब तक छुपाते हैं
जब तक मंजिल नहीं पहुंचते हैं
मेहनत के नतीजे ज़रूर मिलते हैं
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर