जता दूँ तो अहसान लगता है छुपा लूँ तो गुमान लगता है.
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो
पुराना भूलने के लिए नया लिखना पड़ता है
लाल दास कृत मिथिला रामायण मे सीता।
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
भोली चिरइया आसमा के आंगन में,
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।