जिंदगी की दर्द से पहचान है
बह्र- 2122 2122 212
क़ाफिया -आन
रदीफ -है
बेमुरव्वत और बेईमान है,
जिंदगी की दर्द से पहचान है।
टूट जाते हैं सिकंदर जैसे भी ,
जिन्हें दौलत पर बड़ा अभिमान है।
लड़- झगड़ के दुश्मनी मत फैला तू
प्रेम का प्रतीक हिंदुस्तान है।
पाप करने से ज़रा डर तो सही ,
हाय ! सब कुछ देखा भगवान है।
देश के खातिर ये जिंदगी कुछ नहीं
ऐसी जिंदगी और कुर्बान है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर