प्रेम दोहावली
प्रेम सभी से कीजिए न हो किसी से बैर
ओम आगे बढ़ जाइए मत करिए अब देर। ।।
प्रेम शबद संसार में सबन प्यारो होय
कोई बेरी न रहे ओम सुहावे सोए ।।
प्रेममयी में संसार में क्यों न प्रेम बढ़ाय
प्रेम सभी से कीजिए जग सुखमय हो जाय ।।
ढाई आखर प्रेम के पढ़ प्रेमी हो जाय
ओम प्रेम में डूब कर जगसागर तर जाय ।।
ओम प्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्य प्रदेश