नन्हा मुन्ना
नन्हा मुन्ना हूं मैं खाली
सबको देख बजाता ताली
वैसे तो शैतान बहुत मैं
चितवन मेरी भोली भाली
सदा चमकती ही रहती हैं
आंखे चंचल काली काली
दर्पण भी हैरान बहुत है
देख मेरे गालों की लाली
डांट बहुत लगती है मुझको
जब भी मुँह ने उँगली डाली
घर में तो सब ये कहते हैं
मुझसे है घर में खुशहाली
कड़वी दवा पिला देती मां
तबियत हो जब ढीली ढाली
प्यारी यूँ मुस्कान ‘अर्चना’
सब कहते फूलों की डाली
डॉ अर्चना गुप्ता