भारत का गणतंत्र

भारत का गणतंत्र
कहने को हम हैं स्वतंत्र, पर कैसा ये गणतंत्र है।
आज़ादी यहाँ मिली किसे,और सच में कौन स्वतंत्र है।।
जनता की कोई नहीं सुनता, फिर भी कहते जनतंत्र है।
मूलभूत सुविधा नहीं मिलती, और प्रजा के मन में द्वंद्व है।।
प्रजातंत्र में जहाँ प्रजा के अधिकार बिक जाते हैं।
अनपढ़ भी संसद में बैठकर शिक्षित को धमकाते हैं।।
लोकतंत्र के मंदिर में जहाँ कोई, तंत्र नहीं चल पाता है।
गूँगा वहाँ बोलता है, और बहरा ताली बजाता है।।
चुना हुआ नेता भी प्रजा को, डराता और धमकाता है।
कैसा लोकतंत्र है जहाँ, रक्षक भक्षक बन जाता है।।
जनता की आवाज़ को उठने से पहले दबा दिया जाता है।
और मुखर वक्ता को खुलेआम ही जेल भेज दिया जाता है।।
फ्री पानी और बिजली से ही जहाँ, सत्ता में आया जाता है।
फ़्री के नाम पर लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया जाता है।।
निर्दोष लोग जाते हैं जेल दोषी संसद में जाते हैं।
फिर संविधान तोड़ने वाले, संसद में संविधान लहराते हैं।।
बिजनौरी कहे, इस लोकतंत्र की गरिमा को हमें बढ़ाना है।
संसद और विधानसभा में योग्य व्यक्ति को ही पहुंचाना है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी