नेह
नेह ना लगाना कभी
पिया तुझे याद ना करना हैं कभी।
आंखों में नींद नहीं है।
दिल जलता है।
तन-मन सुलगता है।
प्रियतम क्या तुम्हें पता है।
सर्दी की दिन-रातें
याद करो वो पहली मुलाकातें।
मन भरमाती है।
पास बुलाती है।
सच में जीवन अकुलाती है।
-डॉ.सीमा कुमारी.29-12-024की स्वरचित रचना है मेरी जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।