2122 1122 1122 222

2122 1122 1122 222
खुद हो के हमको सँवरना नहीं आया होली में
इश्क में गहरे उतरना नहीं आया होली में
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खामुशी को कभी पढ़ना नहीं सीखा था हमने
आदमी हम को कुतरना नही आया होली में
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डूबते वक्त हमारी थी ये हसरत इतनी सी
क्यों किनारों पे उभरना नहीं आया होली में
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रोग लगता ही नहीं हमको किसी दिन बेकाबू
यूँ कि बीमारियों डरना नहीं आया होली में
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वादा जो करते उसे हम हैं निभाते हैं हरदम
हमको वादों से मुकरना नहीं आया होली में
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सेंक लो रोटी इसी बात जी नेता मुस्काते
खेत औरों जहाँ चरना नहीं आया होली में
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सुशील यादव दुर्ग (छ.ग.)
7000226712