मुहम्मद मुहम्मद पुकारा करूँ मैं

एक कलाम …आपकी नज़र दोस्तों …💖
1💖
मुहम्मद , मुहम्मद , पुकारा करूँ मैं !
सुबह शाम उनका ,नज़ारा करूँ मैं !!
2💖
मेरी ज़िन्दगी , बन्दिगी की अमानत !
हुई रूह रुख्सत , इशारा करूँ मैं !!
3💖
बुलायेंगे आका , मुझे फिर मदीने !
यही सोच कर दिन , गुज़ारा करूँ मैं !!
4💖
चली आ रही है , सवारी मेरे घर !
गुलाबों से महफ़िल , संवारा करूँ मैं !!
5💖
करो खूब तुम भी, यहाँ पर इबादत !
यही राह बख्शिश , निहारा करूँ मैं !!
6💖
नु’माईश करना , मुहब्बत में जायज़ !
जुदा कर के सब से , हमारा करूँ मैं !!
7💖
भटकती फिरूँ मैं , यहाँ से वहाँ तक !
न जाने कहाँ तक , ख़सारा करूँ मैं !!
8💖
तमन्ना यही ‘नील’ की है जहाँ में !
दुखी दीन सबका , सहारा करूँ मैं !!
✍️नील रूहानी …💖
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