Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 1 min read

कैसे मैं खुशियाँ पिरोऊँ ?

बरस सोलह जिन्दगी के
संग तेरे है रचे।
जाने कितने शीत ताप
संग में हमने सहे।
हम कभी विचलित हुए
और कभी तुम भी थके।
किन्तु सब नैराश्य तज
फिर सदा आगे बढ़े।
न बहुत उल्लास था
पर प्रेम व अनुराग संग
विश्वास की धारा में हम
नित शान्ति से बहते रहे।
आकाश जो तुमसे मिला
उसमें ही जीवन बुना।
जो तुम्हारी राह में हो
पथ सदा ही वो चुना।
हौंसले जो मन में थे
तुमसे उन्हें सम्बल मिला।
विश्वास जो तुमने किया
उत्साह का नव पथ मिला।
किन्तु अब कुछ दैव जो
विपरीत है अपने खड़ा।
और तुम्हारा मन भी तो
बस एक खुशी पर है अड़ा।
दैव को जो वंचना दे
युक्ति ऐसी है नहीं।
किस तरह दें वो खुशी
जो हाथ में मेरे नहीं।
आज वो ही दिवस है
एकसूत्र में जब हम बंधे।
बस उसी पल से ही हमने
संकल्प सब मन में धरे।
संकल्प था तुमको सदा
आनन्द की सौगात देंगे।
जी सको संतुष्ट जीवन
इतना तुमको प्यार देंगे।
विडम्बना ये भाग्य की
अवरोध मैं ही बन गई।
अंक न रच पाई वंश
शून्यता घर भर गई ।
न समझ आता है कुछ
आज मैं खुश हूं या रोऊं।
किस तरह से जिन्दगी में
मै तेरी खुशियाँ पिरोऊं?

Language: Hindi
48 Views
Books from Saraswati Bajpai
View all

You may also like these posts

मरूधरां
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
Meenakshi Masoom
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
Atul "Krishn"
त्रिपदिया
त्रिपदिया
Rambali Mishra
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
Neelam Sharma
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
The_dk_poetry
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
- जिंदगी में राहगीर तुझको जिए जाना है -
- जिंदगी में राहगीर तुझको जिए जाना है -
bharat gehlot
"मुश्किलों से मुकाबला कर रहा हूँ ll
पूर्वार्थ
इधर एक बीवी कहने से वोट देने को राज़ी नहीं। उधर दो कौड़ी के लो
इधर एक बीवी कहने से वोट देने को राज़ी नहीं। उधर दो कौड़ी के लो
*प्रणय*
दीपक सरल के मुक्तक
दीपक सरल के मुक्तक
डॉ. दीपक बवेजा
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
sushil sharma
भोपाल गैस काण्ड
भोपाल गैस काण्ड
Shriyansh Gupta
अपने-अपने संस्कार
अपने-अपने संस्कार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अनकही अधूरी ख्वाहिश
अनकही अधूरी ख्वाहिश
Rekha khichi
" जिन्दगी की राहों में "
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा पंचक. . . विविध
दोहा पंचक. . . विविध
sushil sarna
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं।
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं।
Manisha Manjari
"" *प्रेमलता* "" ( *मेरी माँ* )
सुनीलानंद महंत
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
शेखर सिंह
जब गेंद बोलती है, धरती हिलती है, मोहम्मद शमी का जादू, बयां क
जब गेंद बोलती है, धरती हिलती है, मोहम्मद शमी का जादू, बयां क
Sahil Ahmad
अहंकार का पूर्णता त्याग ही विजय का प्रथम संकेत है।
अहंकार का पूर्णता त्याग ही विजय का प्रथम संकेत है।
Rj Anand Prajapati
दुल्हन
दुल्हन
शिवम "सहज"
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
Phool gufran
2951.*पूर्णिका*
2951.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देव अब जो करना निर्माण।
देव अब जो करना निर्माण।
लक्ष्मी सिंह
Loading...