पद्मावती छंद विधान सउदाहरण

पद्मावती छंद विधान, सउदाहरण
पद्मावती छंद 32 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है जिसमें क्रमशः 10, 8, 14 मात्रा पर यति आवश्यक है। चरणांत गा गा
प्रत्येक चरण के प्रथम दो यतियों में समतुकांतता आवश्यक है।
चार चरणों के इस छंद में दो दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
मुक्तक
करता मस्तक नत , पाकर पुस्तक , पूजों वीणा माता की |
शुभ दिव्य मनोहर , शब्द सरोवर , पाते कृपा विधाता की |
माने लेखक-कवि , भावों को रवि , कागज पर उन्हें उकेरे –
सब कहें शारदे, मुझकों वर दे , रिश्ता सुत से नाता की |
छंद
नेता की यारी , दुनियादारी , पड़े मुसीबत कुछ भारी |
फँसते नर नारी, तब मक्कारी, लगती भी है सुखकारी ||
अक्कल बेचारी,फिरती मारी, कष्ट रहें जब कुछ जारी |
तब खद्दर धारी , बंटा ढ़ारी , आकर सिर करें सवारी ||
गिरिराज हिमालय , शंकर आलय , सुत गणेश गौरी माता |
शुभ नंदी सजकर , वाहन बनकर , रखते है अनुपम नाता ||
सब भूत पिशाचा , करते नाचा , होता है खूब तमाशा |
प्रभुवर कैलाशी, सब अभिलाषी , करने को नमन ‘ सुभाषा ||
किया कुम्भ दर्शन , पूजा अर्चन , डुबकी ले आए गंगा |
मन ताप मिटाया , खूब नहाया , लोटे तन को कर चंगा ||
देखे थे नागा , बाँधे धागा , तन धूनी भस्म अनंगा |
अच्छी तैय्यारी , जनता भारी , मेला था रंग बिरंगा ||
सुभाष सिंघई